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सुप्रीम कोर्ट की कड़ाई का असर: बाबा रामदेव की कंपनी को 27 करोड़ के टैक्स के लिए नोटिस जारी

 30 Apr 2024

वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के इंटेलिजेंस विभाग ने बाबा रामदेव के नेतृत्व वाली ‘पतंजलि फूड्स’ कंपनी पर 27.46 करोड़ रूपये के ‘टैक्स’ का नोटिस जारी किया है। नोटिस में फूड्स कंपनी से पूछा गया है कि कंपनी पर टैक्स क्यों न लगाया जाये? नोटिस को कंपनी के द्वारा जमा की जाने वाली ‘रेगुलेटिंग फाइल’ के आधार पर जारी किया गया है।



पतंजलि फूड्स के ख़िलाफ़ नोटिस जारी.....


जीएसटी के इंटेलिजेंस विभाग ने बाबा रामदेव के नेतृत्व वाली पतंजलि फूड्स कंपनी को ‘जीएसटी कर’ के मामले में एक नोटिस जारी किया है। विभाग ने अपने नोटिस में पतंजलि फूड्स कंपनी से 27.46 करोड़ रूपये के जीएसटी कर की माँग की है। दरअसल, 26 अप्रैल को पतंजलि फूड्स कंपनी ने विभाग को अपनी रेगुलेटिंग फाइल जमा की थी। जिसके बाद विभाग ने पतंजलि फ़ूड कंपनी से ‘जीएसटी कर’ की माँग की है।

पतंजलि ग्रुप की तरफ़ से कहा गया है कि विभाग की तरफ़ से अभी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसमें कर को चुकाये जाने की बात नहीं कही गयी है। नोटिस में बस पूछा गया है कि कंपनी से इनपुट टैक्स क्रेडिट की राशि ब्याज़ सहित क्यों ना वसूली जाये। जिसका ज़वाब अभी कंपनी द्वारा दिया जाना बाकी है।

विभाग ने पतंजलि फूड्स पर यह कार्रवाई जीएसटी अधिनियम 2017 और उत्तराखंड जीएसटी 2017 की धारा 74 सहित कई अन्य धाराओं के आधार पर की है।


क्या है पतंजलि फूड्स का इतिहास

योग गुरु बाबा रामदेव के नेतृत्व वाली पतंजलि फूड्स का पहले नाम रुचि सोया था। पतंजलि द्वारा रुचि सोया का अधिग्रहण दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से किया गया था। जिसके बाद रुचि सोया का नाम बदलकर पतंजलि फूड्स किया गया था।पतंजलि कि यह फूड्स कंपनी खाद्य तेलों के साथ-साथ पवन ऊर्जा क्षेत्र, रुचि गोल्ड और न्यूट्रेला जैसे ब्रांडों के रूप में भी काम करती है। हालाँकि पिछले हफ़्ते ही पतंजलि फूड्स के अधिकारियों की तरफ़ से कहा गया था कि कंपनी ग़ैर-खाद्य प्रोडक्टों पर काम न करने के लिए पुनर्विचार कर रही है।



उत्तराखंड ने भी लगाया पतंजलि के प्रोडक्टों पर बैन

उत्तराखंड सरकार ने कंपनी के 14 प्रोडक्ट्स के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस पर रोक लगा दी है। लाइसेंस अथॉरिटी ने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद द्वारा भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित किये गये हैं, इसलिए इन्हें बैन करने का आदेश दिया गया है। सरकार ने यह बैन लाइसेंस के नियमों व शर्तों का पालन न करने, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1945 का बार-बार उल्लंघन किये जाने के कारण लगाया है।